अदाणी का एविएशन सेक्टर में बड़ा दांव, खरीद ली नई कंपनी; बहुत तगड़ा है प्लान
Adani Group (अदाणी ग्रुप) ने हाल ही में एविएशन (विमानन / हवाई-सेवा) सेक्टर में एक बड़ा दांव लगाया है, और उसकी योजना व रणनीति वास्तव में काफी “तगड़ी” है। नीचे मैंने मुख्य बिंदुओं में समझाया है कि उन्होंने क्या किया है और क्या उनकी स्केल / प्लानिंग है
✅ अदाणी का नया दांव — क्या हुआ
अदाणी ग्रुप की इकाई Adani Defence & Aerospace (ADSTL) ने भारत की सबसे बड़ी स्वतंत्र फ्लाइट-ट्रेनिंग और सिमुलेशन संस्था Flight Simulation Technique Centre (FSTC) में मेजोरिटी स्टेक खरीद लिया है — इस डील की वैल्यू ~ ₹820 करोड़ बताई गई है।
FSTC के पास 11 एडवांस “फुल-फ्लाइट सिमुलेटर”, 17 ट्रेनिंग विमान, और ट्रेनिंग स्कूल एवं सिमुलेशन सेंटर्स हैं — जो पायलट ट्रेनिंग, कमर्शियल और डिफेंस दोनों के लिए काम करते हैं।
पहले भी, अदाणी ग्रुप ने वर्ष 2025 में ही एक बड़ी MRO (Maintenance, Repair and Overhaul — मरम्मत/मेंटेनेंस) कंपनी Air Works India (Engineering) Pvt Ltd को अपने तहत लिया था, जिसमें 85% से ज़्यादा हिस्सेदारी हासिल की गई थी (लगभग ₹400 करोड़ में) — यानी अब अदाणी के पास सिर्फ एयरपोर्ट नहीं, बल्कि विमान सेवाओं, मेंटेनेंस, ट्रेनिंग, होल-सर्विसिंग तक की पूरी चेन है।
इसके अलावा, अदाणी ग्रुप ने भविष्य में भारत के एविएशन सेक्टर में बड़े विस्तार की रूप-रेखा बनाई है — अगली 5 साल में (साल 2030 तक) वे लगभग US $ 15 बिलियन निवेश करके अपने एयरपोर्ट नेटवर्क और एविएशन सर्विसिंग क्षमताओं का दायरा बहुत बढ़ाना चाहते हैं।
उनकी बड़ी योजना — पूरा ईको-सिस्टम खड़ा करना
इस कदम से अदाणी की प्लानिंग सिर्फ “एयरपोर्ट ऑपरेशन” या “एयरलाइन” तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वे एक पूर्ण-स्तरीय एविएशन इको-सिस्टम बनाना चाहते हैं, जिसमें शामिल होंगे:
एयरपोर्ट्स + टर्मिनल + रनवे + कैपिसिटी विस्तार (जैसे कि वे पहले से ही कई एयरपोर्ट चला रहे हैं)
विमान मरम्मत-मेंटेनेंस, MRO सेवाएं, एयरक्राफ्ट सर्विसिंग + ओवरहाल (Air Works जैसी कंपनियों के माध्यम से)
पायलट ट्रेनिंग, सिमुलेशन, फ्लाइट स्कूलिंग (FSTC के अधिग्रहण से) — ताकि पायलट + क्रू की सप्लाई बढ़ सके, जो आने वाले समय में एयरक्राफ्ट वृद्धि और उड़ानों में सहायक होगी।
सिविल + डिफेंस एविएशन दोनों में भागीदारी — यानी सिर्फ नागरिक उड़ानों तक सीमित नहीं, बल्कि रक्षा, वायुसेना/नौसेना आदि के विमानन में भी दखल।
भारत के एविएशन सेक्टर के लिए क्या बदल सकता है
भारत में जैसे-जैसे विमान यात्राओं की संख्या बढ़ रही है, पायलटों, मेंटेनेंस स्टाफ, एयरक्राफ्ट सर्विसिंग, रनवे/टर्मिनल आदि की मांग भी तेजी से बढ़ेगी — अदाणी का यह कदम उस बढ़ती मांग को साधने की ओर है।
यह “एयरपोर्ट + MRO + ट्रेनिंग + सेवाएं” का पूरा चेन एक ही समूह के तहत आने से लागत, समन्वय, ट्रेनिंग-केपेबिलिटी, तत्परता आदि बेहतर हो सकती है।
विदेशी/डिफेंस विमानन पर भारत की निर्भरता कम हो सकती है — घरेलू एविएशन सेवाओं, मेंटेनेंस, ट्रेनिंग को बेहतर बनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम।
साथ ही, नए एयरपोर्ट, रनवे, सुविधाओं से कमर्शियल उड़ानों में वृद्धि, यात्रा सस्ते और सुविधाजनक हो सकती है — यात्रियों और एयरलाइन्स दोनों के लिए लाभ।
चुनौतियाँ और जो देखने होगा
एविएशन क्षेत्र बहुत कैपिटल-इंसेन्सिव होता है — नए एयरपोर्ट, सर्विसिंग यूनिट, ट्रेनिंग सेंटर, मेंटेनेंस बेस आदि पर भारी निवेश और लंबी अवधि की प्लानिंग चाहिए होती है।
भारत में एविएशन रेगुलेशन, सुरक्षा, लाइसेंसिंग आदि जटिल होते हैं — यह देखना होगा कि अदाणी इन विषयों में कितनी सफलता पाती है।
मार्केट कॉम्पिटिशन, ईंधन की कीमत, एयरलाइन-डिमांड, पायलट + क्रू ड्राइवलाइंस, एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट etc. जैसी चुनौतियाँ होंगी।
अगर आर्थिक या मांग-संक्रमण के कारण उड़ानों या एयर-ट्रैफिक में गिरावट आई, तो ऐसे बड़े निवेश पर रिटर्न तय करना कठिन हो सकता है।
📌 निष्कर्ष
हाँ — यह कदम निश्चित ही बड़ा और महत्वाकांक्षी है। अदाणी सिर्फ एयरपोर्ट मालिक नहीं रहना चाहता, बल्कि “पूरा एविएशन इको-सिस्टम” — एयरपोर्ट, मेंटेनेंस, ट्रेनिंग, सेवाएं, कमर्शियल + डिफेंस दोनों — खड़ा करना चाहता है। अगर उनकी योजना सफल रही, तो अगले 5–10 साल में भारत की एविएशन इंडस्ट्री में एक बड़ी “नयी ताकत” के रूप में अदाणी उभरकर सामने आ सकता है।

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