Success Story: बैंक की नौकरी छोड़ शुरू किया यह काम, अब 64 वर्ग फीट के कमरे से 5 लाख महीने की कमाई

 


कोच्चि के अजय गोपीनाथ ने बैंक की नौकरी छोड़कर माइक्रोग्रीन्स की खेती शुरू की। अब व‍ह 5 लाख रुपये महीना कमा रहे हैं। साल 2020 में सिटीग्रुप छोड़ने के बाद अजय अपने 64 वर्ग फीट के कमरे में ऑर्गेनिक माइक्रोग्रीन्स उगाते हैं। वह जिम, अस्पताल, होटल और र‍िटेल खरीदारों को इनकी बिक्री करते हैं। यही नहीं, अजय पूरे भारत में किसानों को इनडोर फार्मिंग यूनिट स्थापित करने का प्रशिक्षण देकर भी कमाते हैं। आइए, यहां अजय गोपीनाथ की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

अजय गोपीनाथ की कहानी 2017 में बेंगलुरु के एक रेस्टोरेंट में शुरू होती है। दोस्तों के साथ लंच के दौरान सिटीग्रुप के बैंकर अजय सलाद में सजे माइक्रोग्रीन्स देखकर हैरान रह गए। उत्सुकतावश उन्होंने माइक्रोग्रीन्स के बारे में रिसर्च शुरू कर दी। माइक्रोग्रीन्स सब्जियां, अनाज और जड़ी-बूटियां होती हैं। इन्‍हें बीज के अंकुरण के शुरुआती चरण में ही काट लिया जाता है, जब केवल उनके बीज के पत्ते ही विकसित हुए होते हैं। तीन साल बाद दिसंबर 2020 में 48 साल के अजय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उन्‍होंने कोच्चि में अपने घर वापस आकर माइक्रोग्रीन्स उगाना शुरू कर दिया। उन्होंने एर्नाकुलम में एक दफ्तर के साथ 'ग्रो ग्रीन्स' को प्रॉपराइटरशिप के रूप में पंजीकृत कराया।

यूट्यूब से सीखी माइक्रोग्रीन्स की खेती

केरल के छोटे से गांव अम्बलप्पुझा से ताल्लुक रखने वाले अजय ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा गांव में पूरी की। उसके बाद हाई स्कूल और कॉलेज के लिए तिरुवनंतपुरम चले गए। वहां से उन्होंने गणित में बीएससी पूरी की। अजय ने यूट्यूब वीडियो देखकर माइक्रोग्रीन्स की खेती के बारे में सीखा। वह माइक्रोग्रीन्स उगाने के लिए सिर्फ जैविक बीजों का इस्‍तेमाल करते हैं। उन्हें ब्रिटेन में एक दोस्त से माइक्रोग्रीन्स के बारे में बुनियादी जानकारी मिली। उन्होंने अपने खुद के शोध के साथ इसे आगे बढ़ाया। पांच सितारा होटल अक्सर इसे सलाद में डालते हैं।

माइक्रोग्रीन्स के फायदे

माइक्रोग्रीन्स सब्जियों, अनाज और जड़ी-बूटियों के बीजों से विकसित किए जाते हैं। इनका स्वाद अंकुरों की तुलना में अधिक तीखा होता है। ये पत्तियों के आकार, बनावट और रंगों में आते हैं। माइक्रोग्रीन्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें प्रचुर मात्रा में पॉलीफेनोल्स होते हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट की एक कैटेगरी है जो हृदय रोगों को कम करता है।

अब लाखों की कमाई:

अजय ने सोचा कि क्या लागत ही मुख्य कारण है जिसकी वजह से लोग इस सुपरफूड का सेवन नहीं कर पाते हैं। तभी उन्‍होंने आम मध्यम वर्ग के लिए व्यावसायिक स्तर पर माइक्रोग्रीन्स की खेती शुरू करने का फैसला किया। अजय ने अपनी बचत में से लगभग 5 लाख रुपये R&D, निर्माण सामग्री और जैविक माइक्रोग्रीन बीज खरीदने में निवेश किए। वह वर्तमान में उत्तराखंड और श्रीनगर के किसानों से जैविक बीज प्राप्त करते हैं। वित्‍त वर्ष 2023-24 में उनका सालाना कारोबार 40 लाख रुपये था। वह बिक्री और प्रशिक्षण से चालू वित्त वर्ष में 60 लाख रुपये का लक्ष्य रख रहे हैं।


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