मुंबई की धड़कती हुई गलियों में, जहां भीषण गर्मी और ट्रैफिक हर किसी की परेशानी है, वहीं एक पुरानी परंपरा आज भी जिंदा है, डिब्बेवालों की. ये वे लोग हैं जो सालों से साइकिल या पैदल चलकर ऑफिसों तक घर का बना खाना पहुंचाते आ रहे हैं. लेकिन अब इस परंपरा को टेक्नोलॉजी की मदद से एक नया रूप मिल गया है. भारत के बड़े शहरों में अब ऐसे ऐप्स छा गए हैं जो न सिर्फ खाने-पीने की चीजें, बल्कि कपड़े, गैजेट्स और मोबाइल फोन तक मिनटों में आपके घर पहुंचा रहे हैं. इन्हें कहा जा रहा है, क्विक कॉमर्स ऐप्स. और ये सिर्फ एमेजॉन जैसे ई-कॉमर्स दिग्गजों को चुनौती नहीं दे रहे, बल्कि मोहल्लों की पुरानी किराना दुकानों को भी कमजोर बना रहे हैं. डार्क स्टोर में चलता है मिनटों वाला जादू मुंबई के बीचोंबीच बिगबास्किट का एक वेयरहाउस है, जहां डिलीवरी की रफ्तार देखकर किसी को भी हैरानी हो सकती है. यह जगह ग्राहकों के लिए खुली नहीं होती, इसलिए इन्हें 'डार्क स्टोर्स' कहा जाता है. जैसे ही कोई नया ऑर्डर आता है, कर्मचारी फुर्ती से ऐक्शन में आ जाते हैं. वे तेजी से गलियों में भागते हैं, कोल्ड ड्रिंक से लेकर हरी सब्जियों तक...
Comments
Post a Comment