Exclusive Story: Battery tech startup LOHUM set to raise Rs 1,000 Cr in pre-IPO




LOHUM की कहानी — 


1. शुरुआत और मिशन

स्थापना: LOHUM भारत की एक बैटरी टेक कंपनी है, जिसकी शुरुआत बैटरी रिपैकिंग, रीसायक्लिंग और सामग्री (मटेरियल) एक्सट्रैक्शन के क्षेत्र में हुई है।


फाउंडर: कंपनी के सीईओ और संस्थापक रजत वर्मा हैं। 


मिशन: LOHUM का लक्ष्य बैटरियों को सिर्फ “उपयोग होकर फेंकी जाने वाली वस्तु” न बनें, बल्कि उन्हें कई जीवन देना — यानी बैटरियों का पुनउपयोग, पुनर्रचना (repurposing) और रीसायक्लिंग करना। इससे बैटरी मटेरियल (जैसे लिथियम, कोबाल्ट, निकल) को बचाया जा सके और ऊर्जा संक्रमण (energy transition) को स्थिरता मिले।

2. बिजनेस मॉडल और टेक्नोलॉजी


LOHUM सिर्फ बैटरी पैक बनाने वाली कंपनी नहीं है, बल्कि उसका मॉडल इंटीग्रेटेड बैटरी लाइफसाइकल मैनेजमेंट (Integrated Battery Lifecycle Management) है। 

मुख्य घटक:


बैटरी रिपैकिंग: LOHUM लिथियम-आयन बैटरियों के सेल्स को इकट्ठा करके बैटरी पैक बनाता है, जिन्हें EV (इलेक्ट्रिक वाहन) या अन्य एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में उपयोग किया जा सकता है। 


रीसायक्लिंग: जब बैटरियाँ अपनी पहली लाइफ (उदाहरण के लिए EV में) पूरी कर लें, LOHUM उन्हें रीसायकल करता है — लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे कीमती तत्वों को अलग करके पुनः उपयोग योग्य बनाना। 


रिपर्पसिंग (Second-life use): कुछ बैटरियाँ उनकी बैटरिग्रेड क्षमता अभी भी बनाए रखती हैं, और उन्हें दूसरी ज़िंदगी में उपयोग किया जा सकता है — जैसे कि ग्रिड-सेविंग एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (ESS) में। 


मटेरियल रिफाइनिंग: LOHUM में “ट्रांज़िशन मटेरियल्स” (transition materials) की रिफाइनिंग होती है — यानी कोबाल्ट, निकल आदि को बैटरी-ग्रेड मटेरियल बनाना। 


कैथोड एक्टिव मटेरियल (CAM): LOHUM बैटरी के कैथोड के लिए सक्रिय सामग्री (कैथोड एक्टिव मटेरियल) भी विकसित करता है, जिससे वो बैटरी निर्माण चक्र के भी हिस्से बन सके। 

3. वित्तपोषण (फंडिंग) और वृद्धि


LOHUM ने अब तक कई राउंड में निवेश जुटाया है और उसकी फाइनेंशियल ग्रोथ काफी Impressive रही है:


पहला बड़ा निवेश: जनवरी 2021 में LOHUM ने $7 मिलियन (लगभग ₹51 करोड़) जुटाए थे। 


उस समय LOHUM की योजना थी कि अगले कुछ वर्षों में अपने मेन्युफैक्चरिंग + रीसायक्लिंग कैपेसिटी को बहुत बढ़ाए। 


Series B: LOHUM ने मार्च 2024 में $54 मिलियन (लगभग ₹450 करोड़) की बड़ी सीरीज़ B फंडिंग हासिल की। 


इस राउंड में निवेशकों में शामिल थे: Singularity Growth, Baring Private Equity, Cactus Venture Partners, Venture East आदि। 


ये धन LOHUM को अंतर्राष्ट्रीय विस्तार, रीसायक्लिंग ऑपरेशन बढ़ाने, और R&D (अनुसंधान) केंद्र को मजबूत करने में मदद करेगा। 

Pre-Series C योजना: LOHUM एक प्री-सीरीज़ C राउंड प्लान कर रही है, लगभग ₹131.4 करोड़ जुटाने की तैयारी। 


पिछली राउंड्स: इसके अलावा LOHUM ने अपने Series B1 में $23 मिलियन भी जुटाए थे। 

4. प्रदर्शन और वित्तीय स्थिति

LOHUM ने वित्तीय प्रदर्शन में तेजी दिखाई है। FY23 में उसकी कमाई लगभग ₹308 करोड़ रही, जबकि पिछले साल (FY22) यह बहुत कम थी। 


कंपनी ने लगातार लाभ भी दिखाया है — यानी सिर्फ ग्रोथ नहीं, मुनाफे की भी दिशा में काम किया है। 

LOHUM ने अपनी क्षमता बहुत बढ़ाने का लक्ष्य रखा है — जैसे कि रीसायक्लिंग यूनिट, बैटरी उत्पादन, और मटेरियल रिफाइनिंग में स्केल करना। 

5. विस्तार और अंतर्राष्ट्रीय रणनीति

LOHUM सिर्फ भारत में नहीं रुकना चाहती — वो उत्तर अमेरिका, यूरोप, मध्य-पूर्व (MENA) में विस्तार करना चाहती है। 


इसके प्लान में बड़ी रीसाइक्लिंग प्लांट्स बनाना शामिल है ताकि बैटरियों की इनसाइकिलिंग (in-cycle) प्रक्रिया को ग्लोबली मैनेज किया जा सके। 

टेक्नोलॉजी और R&D पर भी जोर है — LOHUM अपनी इनोवेशन क्षमता बढ़ा रही है ताकि बैटरी मटेरियल की सुरक्षा, शुद्धता, और पुनरावलोकन (recovery) बेहतर हो सके।

6. चुनौतियाँ और अवसर

चुनौतियाँ:

बैटरियों का रीसायक्लिंग करना टेक्निकल और महंगा हो सकता है।


बैटरी मटेरियल (जैसे लिथियम) की शुद्धता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय विस्तार में स्थानीय नियम, पर्यावरण नीतियाँ, और लॉजिस्टिक समस्या हो सकती हैं।


भारत में बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन (waste management) अभी पूरी तरह पुख्ता नहीं हो सकता, और इसे स्केल करने में बाधाएँ हों सकती हैं।

अवसर:

EV मार्केट में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे बैटरियों की डिमांड और बैटरी रीसायक्लिंग की ज़रूरत दोनों बढ़ेंगे।


क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन (स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण) में बैटरियों का रोल अहम है — LOHUM जैसी कंपनियों के लिए बड़ा मार्केट है।


“सर्कुलर इकॉनॉमी” मॉडल (जहां बैटरियों को उनकी लाइफ पूरी होने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जाए) पर्यावरण और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से लाभदायक है।


सरकारों और नियामकों का ध्यान बैटरी अपशिष्ट (waste) प्रबंधन की ओर बढ़ रहा है, इसलिए LOHUM को पॉलिसी समर्थन मिल सकत

7. भविष्य की दिशा

LOHUM अपने बैटरी लिफ़ेसेकल मॉडल को और मजबूत करना चाहती है और एक फुल इन-हाउस इकोसिस्टम तैयार कर रही है — मतलब बैटरियों के “पाकेटिंग → उपयोग → रिपर्पसिंग → रीसायक्लिंग → मटेरियल एक्सट्रैक्शन → मटेरियल सप्लाई” का पूरा चक्र।

कंपनी LMFP (लिथियम मैंगनीज फ़ॉस्फेट) जैसे बैटरि केमिस्ट्री में भी काम करने की योजना बना सकती है, क्योंकि ऐसी केमिस्ट्री में सुरक्षा बढ़ाने और लागत को कम करने की क्षमता है। (कुछ रिपोर्ट्स में LOHUM ने LMFP टेक्नोलॉजी के लिए निवेश की योजना की बात की है) 

साथ ही, LOHUM बड़े पैमाने पर ग्लोबल सप्लाई चेन में बने रहने की रणनीति बना रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बैटरी मटेरियल की कमी है या रीसायक्लिंग की मांग अधिक है।

R&D पर अधिक खर्च करके LOHUM बैटरी टेक्नॉलॉजी में इनोवेटिव सॉल्यूशंस ला सकती है — जैसे बेहतर कैथोड एक्टिव मटेरियल, उच्च-शुद्धता पुनरावृत्ति प्रक्रिया, और अधिक सुरक्षित बैटरियल डिज़ाइन।

8. महत्व (Importance)

LOHUM की कहानी इसलिए खास है क्योंकि:

यह EV बैटरी चक्र का “रीसायक्लिंग मेनस्ट्रीम” की ओर ले जा रही है — यानी बैटरियों को फेंके जाने वाली वस्तु के बजाय पुनरावृत्ति योग्य संसाधन बनाने की कोशिश कर रही है।

भारत में बैटरी मटेरियल की स्थलिय कमी है — LOHUM जैसे स्टार्टअप देश को स्वदेशी बैटरी मटेरियल सप्लाई चेन बनाने में मदद कर सकते हैं।

इसके मॉडल से पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ता है — कम अपशिष्ट, कम खनन दबाव, और अधिक टिकाऊ बैटरियां।

यह ग्लोबली प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखता है, जिससे भारत की एनर्जी टेक इंडस्ट्री में “मेक इन इंडिया” की कहानी को मजबूत किया जा सकता है।

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